शिक्षा के अधिकार कानून में रोक के बावजूद प्रवेश परीक्षा के जरिए नवोदय विद्यालयों में दाखिले पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग भले ही सख्त हो गया हो, लेकिन नवोदय विद्यालय समिति इस मामले में पीछे हटने को तैयार नहीं है। उसने दो टूक कह दिया है कि नवोदय विद्यालयों में दाखिले की इस प्रक्रिया में बदलाव संभव ही नहीं है। इतना ही नहीं, उसने सरकार से भी कह दिया है कि नवोदय विद्यालयों को शिक्षा का अधिकार कानून के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए।
प्रवेश परीक्षा के आधार पर नवोदय विद्यालयों में हुए दाखिले पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग [एनसीपीसीआर] का नोटिस मिलते ही नवोदय विद्यालय समिति ने अपना जवाब भी उसे भेज दिया है। समिति के आयुक्त मनोज सिंह ने एनसीपीसीआर को साफ कर दिया है कि 75 प्रतिशत ग्रामीण और 25 प्रतिशत शहरी बच्चों की दर्जनभर अलग-अलग श्रेणियों के तहत नवोदय विद्यालयों में छठवीं कक्षा में होने वाले इन दाखिलों के लिए प्रवेश परीक्षा के अलावा दूसरा रास्ता अख्तियार ही नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा है कि दाखिलों में अनुसूचित जाति, जनजाति, लड़कियों, शहरी और ग्रामीण जैसी श्रेणियों के साथ ही हर जिले के नवोदय स्कूल की सभी सीटों को ब्लॉक स्तर तक बांटकर प्रतिनिधित्व दिया जाता है।
आयुक्त का कहना है कि नवोदय विद्यालयों में छठवीं कक्षा की कुल 38 हजार सीटों के लिए लगभग 16 लाख बच्चे प्रवेश परीक्षा में बैठते हैं। मतलब एक सीट के लिए औसतन 42 आवेदक होते हैं। इन स्कूलों की स्थापना का उद्देश्य सभी समुदायों के प्रतिभाशाली बच्चों को सामान्य पढ़ाई से अलग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराना है। ऐसे में यह संभव ही नहीं है कि नवोदय विद्यालयों में दाखिले के लिए आवेदकों में से औचक चयन किया जाए, जैसा कि शिक्षा का अधिकार कानून में प्रावधान है।
इस बीच, नवोदय विद्यालय समिति ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भी पत्र लिखकर इन स्थितियों के मद्देनजर नवोदय विद्यालयों को शिक्षा का अधिकार कानून के दायरे से बाहर ही करने की मांग कर दी है। गौरतलब है कि एनसीपीसीआर ने पहली अप्रैल से लागू हुए इस कानून के प्रावधानों को नजरअंदाज करने पर उससे हफ्ते भर में न सिर्फ जवाब तलब किया है, बल्कि नवोदय विद्यालयों में हुए दाखिलों को रद करने का भी निर्देश दिया है। ऐसा न होने पर उसने कार्रवाई के लिए भी चेताया है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_6559681.html
– Sumit Baranwal
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